Tere Ishq Ki Intehaa Chahta Hoon - तेरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ





तेरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ 
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ 

सितम हो कि हो वादा--बे-हिजाबी 
कोई बात सब्र-आज़मा चाहता हूँ 

ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को 
कि मैं आप का सामना चाहता हूँ 

ज़रा सा तो दिल हूँ मगर शोख़ इतना 
वही लन-तरानी सुना चाहता हूँ 

कोई दम का मेहमाँ हूँ अहल--महफ़िल 
चराग़--सहर हूँ बुझा चाहता हूँ 

भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी 
बड़ा बे-अदब हूँ सज़ा चाहता हूँ 


Allama iqbal 


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